Monday, June 25, 2018

ब्लॉग: ये ट्रोल्स भस्मासुर हैं, इन्हें मत पालिए

ट्रोल्स के काटे का ज़ख़्म अब तक सिर्फ़ वो लोग सहलाते रहते थे जिन्हें सोशल मीडिया की ज़बान में लिबटार्ड, सिकुलर, ख़ानग्रेसी आदि विशेषणों से पुकारा जाता है. पर अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी ट्रोल्स के शिकारों की लिस्ट में शामिल हो गई हैं.
सुषमा स्वराज को आप न तो स्यूडो-सेक्युलर कह सकते हैं, न लिबटार्ड या ख़ानग्रेसी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में भले ही उनकी राजनीतिक परवरिश न हुई हो पर वो भारतीय जनता पार्टी की महत्वपूर्ण नेताओं में हैं.
राजनीति में अपने करियर की शुरुआत से ही वो काँग्रेस विरोधी रही हैं. सोनिया गाँधी से उनकी प्रतिद्वंद्विता के क़िस्से मशहूर रहे हैं. यहाँ तक कि 2004 में एनडीए के चुनाव हारने पर उन्होंने ऐलान कर दिया था कि अगर सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री बनीं तो वो अपना सिर मुंडवा लेंगी. ख़ैर उसकी नौबत ही नहीं आई.
फ़िलहाल तो सुषमा स्वराज इसलिए ख़बरों में हैं क्योंकि सोशल मीडिया में अपने शिकार को सूंघते फिरते ट्रोल्स उन्हीं पर झपट पड़े हैं.
लखनऊ में एक दंपति ने पासपोर्ट दफ़्तर में अपने साथ हुए व्यवहार की जानकारी ट्विटर के ज़रिए सुषमा स्वराज को दी जिसके बाद तुरंत पासपोर्ट जारी कर दिया गया.
शिकायत करने वाली महिला हिंदू थी और उसने एक मुसलमान से शादी की थी. दंपति का दावा था कि पासपोर्ट दफ़्तर में उनके इस रिश्ते पर सवाल किया गया तो उन्होंने सुषमा स्वराज से न्याय माँगा. उनकी माँग मान ली गई. हालाँकि, ट्रोल किए जाने के बाद सुषमा स्वराज ने कहा कि वो विदेश में थीं और उनकी ग़ैरमौजूदगी में क्या फ़ैसला हुआ इसकी उन्हें जानकारी नहीं है.
दरअसल इस महिला का हिंदू होते हुए मुसलमान से शादी करना ही संघ परिवार की परिभाषा के मुताबिक़ जघन्य अपराध है. इसे संघ की शब्दावली में लव जिहाद कहा जाता है. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता कहते हैं कि लव जिहाद के ज़रिए मुसलमान हिंदुओं की लड़कियों को बहला फुसला कर शादी कर लेते हैं और इस तकनीक से भारत में अपनी संख्या बढ़ाते हैं.
संघ के इस तर्क से सहमत लोगों के नज़रिए से देखा जाए तो लव जिहाद में शामिल हिंदू महिला ने पहले तो सुषमा स्वराज से शिकायत करने की हिमाक़त की और फिर दूसरी हिमाक़त सुषमा स्वराज ने की कि पासपोर्ट जारी कर दिया. माँग में गाढ़ा सिंदूर भरकर रखने वाली जो सुषमा स्वराज कल तक पवित्र हिंदू नारी का प्रतीक हुआ करती थीं, अचानक मुस्लिम परस्त हो गईं.

Sunday, June 24, 2018

可再生能源配额新政可用于支持可再生能源投资


三月,中国颁布了《可再生能源电力配额及考核办法(征求意见稿)》,规定了各省级行政区域水电和非水可再生能源电力消费的比重指标,并将这些指标进一步向承担配额义务的市场主体,包括电网企业、配售电企业和参与直购电交易的大型终端用户,进行分配。

用户可通过购买可再生能源电力证书( )作为其履行义务的证明。证书对可再生能源电力的生产者按照1兆瓦时电量一个证书的标准核发。证书将区分为含水电和非水电可再生能源(风能、太阳能、生物质能)。年底持有证书数量不足的用户,须按照电网企业建议的并在国家发改委备案的价格购买替代证书。

在我们看来,可再生能源电力配额新规有很多好处。

配额义务

很重要的一点,可再生能源电力配额义务现在已具备法律效力。未达到配额指标的省份将暂停获批建设新的煤电项目规模(或核减核准规模),并且还将被取消申请能源示范区的资格。对于未完成配额指标的电力配售企业等市场主体,将核减或取消其下一年参与电力市场交易的资格。



从长远来看,可再生能源电力配额有助于促进各省之间的可再生能源交易。配额增幅最大的省份多数都位于华东地区。例如,2016年湖南省风电和太阳能光伏发电量总占 。根据2018年的配额指标,湖南非水电可再生能源发电占比需达到9%,并在2020年增长到19%。

安徽、河南和江西的情况类似。就绝对增幅而言,山东、河南和安徽需购买风电和光伏发电的增幅最大。尽管已计划增加省间交易量,但可再生能源电力配额政策可以使通过跨省交易整合可再生能源的重要意义得到强化。总体而言,实施省级可再生能源电力配额政策是一个积极的进展,可帮助纠正此前中国清洁能源发展模式中的若干问题。在国家层面,以发电量而非装机容量作为基础的政策目标已经成为推动可再生能源并网的重要因素。对不履行义务的主体建立惩罚机制,可以促进各省购入更多的清洁能源,而非仅仅依靠省内发电,从而减少可再生能源弃电现象。


但任何一项新政策都会在发展过程中存在阵痛期,并有潜在需要改善的地方,尤其是在2020年后中国的可再生能源补贴将逐步退出。因此,为促进可再生能源电力配额政策的发展,我们提出了如下一些简单易行的方法:

  • 明确配额政策将如何支持其他对可再生能源产生影响的改革,如碳市场和电力市场改革。
  • 提高配额制定方法的透明度,并为配额制定长期规划以鼓励在可再生能源领域的投资。
  • 提出月度目标以鼓励市场发展,帮助市场主体保持在履行配额义务的轨道上。
  • 阐明可再生能源电力配额政策的目标,并将这一目标与解决弃风、弃光与弃水的问题结合起来。
  • 鼓励可再生能源直购电,以及购买盈余的可再生能源电力证书。